Saturday, November 27, 2010

वक़्त से वक़्त की शिकायत क्या हैं

वक़्त से वक़्त की शिकायत क्या हैं,
    कहीं टूटा सपना , कहीं दर्द बेवजह हैं||

वादें से वादाखिलाफ़ी क्या हैं,
     कहीं दोस्त छूटे , कहीं खून ही जुदां हैं||

जिंदगी हो मौत तो मौत क्या हैं,
  कहीं सकूँ रूह को, कही आखिरी तमन्ना हैं||

आज ही हैं सबकुछ तो कल क्या हैं,
  कहीं खुशियाँ तमाम, कहीं वीराना जहाँ हैं ||

2 comments:

  1. सुन्दर प्रस्तुति .....

    ReplyDelete
  2. Wah! Kya kamal kaa likha hai.."Kaheen khushiyaan tamaam,kaheen veerana jahan hai".

    ReplyDelete