Friday, September 24, 2010

तुम यों ही कह देते

तुम यों ही कह देते,
        हम खुद ही चले जाते||
न जाने क्यों करने पड़े,
      इतने सवाल जवाब तुम्हें ||

आज यों ही याद आ गयी,
    कभी तुम भी खुद आ जातें||
दूरियाँ इतनी तो कभीं न थी,
     के बुलावा भेजकर बुलाना पड़े तुम्हें||

बीत गयी जिंदगी इसी वहम में,
     के हम न होते तो कई काम रूक जातें||
अब हम नहीं हैं,
      और याद भी अब नहीं आतें हम तुम्हें||

आज यूँ ही परेशान नहीं  हूँ,
   वरना क्यों हम मयखाने जाते||
नज़र बदल गयी हैं तुम्हारी "शफ़क",
   शराब दिखती हैं अशक़ आँखों में नहीं तुम्हें||

1 comment:

  1. Aah ! Aisibhi dooriyan badh jatee hain...aur phir badhtee hee chali jatee hain...duniyaka dastoor hee kuchh aisa hai.

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