कहते हैं लोग आजकल की कुछ क्यों नहीं करते हो तुम,
और हम हैं इस फ़िराक में के वो हमें आजमायें तो||
खुदा का शुक्र हैं की हम उसकी निगाहों में तो हैं,
वरना लोग सोच रहे हैं किसी तरह उसकी नज़र में आयें तो||
देखते हैं और कितना इम्तेहान लेते हैं वो,
हमें ख़ुशी इस में ही हैं के वो जरा मुस्कराएँ तो||
क्या रखा हैं दुनिया को जीतने में "शफ़क",
मजा तो तब हैं जब वो नज़रें मिलाएं तो||