आज चेहरे से जो नकाब हटाया उसने ।
दिन में ही चाँद नजर आया उसमें॥
कोई करें भी तो क्या तारीफ उसकी ।
लब्सों को कम ही पाया हमने॥
रोज जिस खिड़की पे देखते थे उनको।
जान के आज उसपे ही पर्दा लगायाँ उसने॥
कल किया था उसने आज आने का वादा।
आज भी सारी रात इन्तेजार करायाँ उसने ॥